गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड के एक दोषी फारूक को जमानत दे दी। पिछले 17 साल से फारूक जेल में बंद है। वो उम्रकैद की सजा काट रहा है। उम्रकैद की सज़ा के खिलाफ फारूक की अपील 2018 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने फारूक को जामनत देते हुए कहा की वो 2004 से जेल में है। वो पिछले 17 साल जेल में रह चुका है, इसलिए उसे जमानत दी जाए।
बता दे कि फारूक पर जलती ट्रेन पर पत्थरबाजी करने का आरोप लगा था और दोषी पाया गया था। उसने ट्रेन पर इस कारण पत्थरबाजी की थी, ताकि जलती ट्रेन से लोग उतर न पाएं और उनकी मौत ट्रेन के अंदर ही हो जाए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया विरोध
फारूक की जमानत का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह सबसे जघन्य अपराध में से एक था। लोगों को बोगी में बंद करके जिंदा जलाया गया था। उन्होंने आगे कहा की सामान्य परिस्थितियों में पत्थरबाजी कम गंभीर अपराध हो सकता है, लेकिन यह अलग है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी फारूक 17 साल से जेल में है। इसलिए उसे जेल से जमानत पर रिहा किया जाए।
जाने क्या था पूरा मामला
बता दे कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में भीड़ द्वारा आग लगा दी गयी थी। इस भयानक घटना में 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी और इसके बाद गुजरात में 2002 के दंगे हुए थे। दोषी फारूक पर पत्थरबाजी और हत्या करने का आरोप साबित हुआ था जिसके बाद उसे उमक्रैद की सजा सुनाई गई थी।
गोधरा कांड के बाद चले मुकदमों में करीब 9 साल बाद 31 लोगों को दोषी ठहराया गया था। साल 2011 में SIT कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई और 20 को उम्रकैद की सजा दी थी। हालाँकि बाद में अक्टूबर 2017 में गुजरात उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था और इन्ही में एक दोषी फारूक है। इससे पहले मई में एक और दोषी अब्दुल रहमान धंतिया कंकट्टो जम्बुरो को 6 महीने की जमानत दी गई थी। दरअसल रहमान की पत्नी को टर्मिनल कैंसर है और उसकी बेटियां मानसिक बीमार हैं , इस कारण उसे जमानत दी गई। 11 नवंबर को रहमान की जमानत 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी गई।