मुझे यह जानकारी देते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है की ब्रिटिशो द्वारा दिये गए ऐतिहासिक नाम को बदल दिया गया।आज प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी जी ने राजपथ और नई संसद भवन का उदघाट्न किया। ‘‘इंडिया गेट पर नेता जी की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पूरा मार्ग अब कर्तव्यपथ के नाम से जाना जाएगा.’’ ब्रिटिश काल में राजपथ को किंग्सवे कहा जाता था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की चार दीवारी से गुलामी के हर चीज से मुक्त होने की बात कही थी। इस दिशा में कदम बढ़ते हुए मोदी सरकार ने 2 सितम्बर को भारतीय नौसेना को गुलामी के प्रतीक से आज़ाद करवाया,साथ ही नया झंडा प्रदान किया। और इसी के साथ मोदी सरकार ने अब कई सालों बाद राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करने का फैसला किया है। नेताजी स्टैच्यू से लेकर राष्ट्रपति भवन तक की जो पूरी सड़क जाती है, उसे अब कर्तव्यपथ कहा जाएगा। दरअसल इस फैसले को औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करने के लिए मोदी सरकार के प्रयास को अच्छे कदम के रूप में देखा जा रहा है।
कल NDMC की एक अहम बैठक हुई। आजादी के 75 साल बाद गुलामी का कोई भी प्रतीक नहीं रहना चाहिए। मोदी सरकार के नामकरण के इस फैसले में गुलामी से संबंधित प्रतीकों से मुक्ति पाकर नए कर्त्तव्यपथ पर चलकर 2047 तक विकसित भारत बनाने का संकल्प दिखाई देता है।
करीबन 67 साल बाद अब राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के तीन किमी के दायरे में राजपथ यानि कर्तव्यपथ नए और भव्य रूप में बनकर तैयार हो चुका है। अब राजपथ अद्भुत रूप में नजर आ रहा है। यहां पर आने वाले सभी लोगों को एक अलग सा अनुभव भी मिलेगा। सेंट्रल विस्टा में बड़े पैमाने पर सौंदर्यीकरण का काम हुआ है। राजपथ का रंग बदला जरूर है परतुं रूप नहीं। राजपथ के दोनों तरफ 6-6 फीट चौड़ा कर दिया गया है। इंडिया गेट पर चल रहे सेंट्रल विस्टा एवेन्यू प्रोजेक्ट पूरा हो गया है और इसका उद्घाटन आज प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया।आम जनता की आराम को देखते हुए यहां पर 4 अंडर पास बनाए गए हैं।
दरअसल इसकी शुरुआत 1911 में ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी, जब किंग जॉर्ज पंचम दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए आए थे। इस दौरान कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने की घोषणा हुई थी। इसलिए अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस जगह का नाम किंग्सवे रखा गया था। यह ब्रिटिश शासन की शाही पहचान का प्रतीक था। स्वतंत्रता के बाद 1955 में इसका नाम राजपथ किया गया। इसके बाद हर साल राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड होने लगी ।
हर साल देश अपनी सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता का नजारा भी इसी ऐतिहासिक राजपथ पर ही देखते है। भारत अपनी शक्ति प्रदर्शन करता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वहीं कई विदेशी मेहमान राजपथ पर होने वाले परेड को देखने के लिए विशेष अतिथि शामिल होते रहे हैं। जब गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी राजपथ पर धीरे-धीरे चलते हुए लोगों के करीब जाकर लोगों का अभिनन्दन स्वीकार करते हैं, और हम बता दे कि राजा और प्रजा का युग समाप्त हो चुका है।
औपनिवेशिक अतीत से छुटकारा दिलाने में प्रधानमंत्री मोदी का सबसे से बड़ा योगदान है लोकतंत्र का भवन यानि नया संसद भवन का काम अब खत्म हो चुका है। नए संसद भवन का आज ही उद्घाटन किया जएगा। नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का साक्ष्य है।ध्यान देने योग्य है कि 144 मजबूत स्तंभों पर टिका वर्तमान संसद भवन करीब 95 साल पहले अंग्रेजों ने बनवाया था। संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को तब के महामहिम द ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी। इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था।
इससे पहले मोदी सरकार ने मुगल और औपनिवेशिक अतीत से छुटकारा दिलाने के कई प्रयास किए हैं। मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल के दौरान साल 2016 में दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास की ओर जाने वाले रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया। वहीं, 28 अगस्त, 2015 को औरंगजेब रोड का नाम बदलकर मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड रखा गया। साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम दाराशिकोह रोड कर दिया गया।