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जन्म दिवस पर मौलाना अबुल कलाम आजाद को किया याद ! जानें क्यों मनाया जाता है शिक्षा दिवस ?

भारत में हर साल 11 नवंबर के दिन राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को समर्पित किया जाता है। ये देश के महान विद्वान, प्रख्यात और स्वतंत्रता सेनानी में से एक है, शिक्षाशास्त्री अबुल कलाम आजाद की जयंती (Maulana Abul Kalam Azad Birthday) को लोग राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाते हैं।
By: MGB Desk
| 10 Nov, 2022 6:57 pm

खास बातें
  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक शिक्षाशास्त्री थे |
  • शिक्षा के संबंध में मौलाना अबुल कलाम आजाद के क्या विचार थे ?
  • राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व, क्यों मनाया जाता है ?

National Education Day 2022 : दिल से दी गयी शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है।

बहुत सारे लोग पेड़ लगाते हैं लेकिन उनमें से कुछ को ही उनका फल मिलता है।

भारत में हर साल 11 नवंबर के दिन राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को समर्पित किया जाता है। ये देश के महान विद्वान, प्रख्यात और स्वतंत्रता सेनानी में से एक है, शिक्षाशास्त्री अबुल कलाम आजाद की जयंती (Maulana Abul Kalam Azad Birthday) को लोग राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाते हैं। भारत की आजादी के बाद राष्ट्र निर्माण और देश के विकास में अच्छी शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है, मौलाना आजाद यह बात अच्छे से जानते थे।क्योंकि उन्होंने देश में आधुनिक शिक्षा पद्धति लाने के लिए कई बड़े-बड़े कदम उठाए थे। जो आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में, शिक्षा के क्षेत्र में उनके बेहतरीन कार्यों को याद किया जाता है।

11 सितंबर 2008 को केन्द्र सरकार ने मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाएं जाने की घोषणा की थी। तभी से देश के सभी शिक्षा संस्थानों में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। शिक्षा मंत्रालय ने आजाद के नेतृत्व में ही 1951 में देश का पहला IIT संस्थान स्थापित किया गया। उसके बाद 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को बनाया गया। मौलाना आज़ाद का मानना था कि ये संस्थान भविष्य में भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और सेकेंडरी एजुकेशन कमिशन भी उन्हीं के कार्यकाल के समय स्थापित किया गया था। देश में प्रसिद्ध जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापन में भी उनका अहम योगदान है। 

11 नवंबर को हर साल सभी स्कूलों व कॉलेजों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन छात्र और शिक्षक शिक्षा के महत्व और विभिन्न विचारों को साझा करते हैं। इस दिन कई तरह के सेमिनार और वर्कशॉप का आयोजन होता है। विभिन्न स्कूलों में निबंध, भाषण, पोस्टर और बहुत से प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। 

 इस दिन, भारत के पहले शिक्षा मंत्री यानि मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 में मक्का, हेजाज, तुर्क साम्राज्य में हुआ था, जो आज के समय सऊदी अरब का हिस्स है। 20वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता बने। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अहम योगदान दिया और कई आंदोलनों में शामिल रहें। मौलाना आजाद भारतीय नेशनल कांग्रेस पार्टी के सबसे कम उम्र के प्रेसिडेंट बने थें। भारत की आजदी के बाद उन्हें सबसे पहला अवसर शिक्षा मंत्री बनने का पद संभाला। उन्हें 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया और इसी कार्यकाल में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान दिया है। इसी योगदान के लिए ही मौलाना आज़ाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके इसी योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।

 मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक शिक्षाशास्त्री थे, इसलिए उन्होंने समाज के उत्थान के लिए अपना एक पुस्तकालय शुरू किया। उनकी पत्रकारिता में गहरी रुचि थी और उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 1899 में नायरंग-ए-आलम नामक कविता के साथ अपनी पहली काव्य पत्रिका प्रकाशित की। उन्होंने पत्रकारिता में प्रवेश लिया और कलकत्ता में अल-हिलाल (जिसका अर्थ है द क्रिसेंट) नाम से एक उर्दू अखबार में प्रकाशित करना शुरू किया। ऐसा माना जाता है कि अल-हिलाल को ब्रिटिश नीतियों पर हमला करने के लिए एक हथियार का जरिया था। सत्ता के लिए सच बोलते हुए, मौलाना अबुल कलाम ने बाद में अल-बालाग नामक एक साप्ताहिक पत्र को शुरू किया, अंग्रेजी सरकार ने अल-हिलाल को इस्लामी समुदाय के बीच अत्यधिक लोकप्रियता के कारण साल 1914  में प्रतिबंधित कर दिया था। बार-बार मौलाना अबुल कलाम अपनी कलम और शब्दों के बल पर ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ विद्रोह करने के तरीके खोजते रहे।

शिक्षा के संबंध में मौलाना अबुल कलाम आजाद के क्या विचार थे?
शिक्षा में मौलाना का एक ऐसा विश्वास था कि वे स्कूलों को प्रयोगशाला मानते थे जो भविष्य के प्रतिभाशाली छात्रों का निर्माण कर सकती है। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा पर भी काफी जोर दिया। उन्होंने छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा को भी बढ़ावा दिया। मौलाना चाहते थे कि भारत एक ऐसा राष्ट्र बने। जो उच्च शैक्षिक मानकों और महान दिमाग दर छात्रों का निर्माण करें।मौलाना के लिए शिक्षा का अत्यधिक महत्व था और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पूरे देश में शिक्षा का एक समान राष्ट्रीय मानक प्रदान किया जाना चाहिए। 16 जनवरी 1948 को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने घोषणा किया था, कि हमें एक पल के लिए भी नहीं भूलना चाहिए, कि प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना जन्मसिद्ध अधिकार है जिसके बिना वह एक नागरिक कर्तव्यों को पूरी तरह से निर्वहन नहीं कर सकता है। 1947 में भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में मौलाना ने 14 साल तक के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के लिए एक मुफ्त और अनिवार्य नागरिक अधिकार बनाने का निर्णय लिया।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व, क्यों मनाया जाता है?
11 नवंबर को पूरा देश राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को उत्सव की तरह मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें सराहनीय योगदान के लिए श्रद्धांजलि देने के लिए सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र विशेष प्रदर्शन,कार्यक्रम और गतिविधियाँ तैयार करते हैं।

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