पूरे देश में हर साल 12 नवंबर को राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता है। भारत के एक प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक और प्रकृतिवादी (naturalist) डॉ. सलीम अली की जयंती के दिन भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पक्षी दिवस घोषित किया गया था। भारत सरकार ने 26 जनवरी 1963 में मोर को राष्ट्रीय पक्षी के रूप में घोषित किया।
डॉ सलीम अली की जीवनी परिचय :-
भारत में कई ऐसी हस्तियों का जन्म हुआ है। जिन्होंने कई क्षेत्रों में कठिन काम करके न सिर्फ एक उदाहरण पेश किया बल्कि भारत का नाम दुनियां भर में आगे बढ़ाया। ऐसे ही एक शख्सियत थे, सलीम अली, जिनका पूरा नाम डॉ सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली था। ये खासकर के पक्षियों से बेहद लगाव रखते थे। डॉ सलीम अली का जन्म 12 नवंबर 1896 को बॉम्बे के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। डॉ. सलीम अली विश्वविख्यात भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी थे। भारत के पक्षी मानव यानि बर्डमैन के नाम से भी जाने जाते है, क्योंकि ये पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी, वन्यजीव संरक्षणवादी के रूप में इन्होने अपना पूरा जीवन व्यतीत किया। बचपन से ही उनकों पशु-पक्षियों में काफी अधिक रूचि थी। पढ़ाई और अन्य क्षेत्रों से अत्यधिक रूचि उन्हें खेल-कूद और पशु-पक्षियों था।
साल 1985 में डॉ. सलीम अली की पुस्तक “द फॉल ऑफ एक स्पैरो” में, उन्होंने अपने जीवन की घटनाओं का वर्णन किया है जिसके चलते वे पक्षी प्रेमी बने और उनके जीवन की सभी मुसीबत का भी वर्णन मिलता है।
डॉ. सलीम अली ने पक्षियों के सर्वेक्षण के लिए 65 साल गुजार दिए। ये परिंदों के चलते-फिरते विश्वकोष कहे जाता थे। इनकी पुस्तकें पक्षियों पर आधारित है जैसे- "द बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स" "हैंडबुक ऑफ द बर्ड्स ऑफ इंडिया एंड पाकिस्तान" और "द फॉल ऑफ ए स्पैरो" बहुत प्रसिद्ध हुई। डॉ. सलीम अली को प्रकृति विज्ञान और पक्षियों पर किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से साल 1958 में पद्म विभूषण और साल 1976 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
डॉ. सलीम अली को भारत सरकार द्वारा 'बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी' और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से इनके नाम पर पक्षीविज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केन्द्र की स्थापना की गई।
सलीम अली की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से हुई।इन्होने "बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी" (BNHS) के सचिव डब्ल्यूएस मिलार्ड की देख-रेख में, सलीम ने पक्षियों पर गहरा अध्ययन शुरू किया, इन्होनें असामान्य रूप से रंगीन गौरैया की पहचान की थी।
हमारे पड़ोसी देशो में जैसे- म्यांमार और श्रीलंका का राष्ट्रीय पक्षी भी मोर है। भारत में मोर का शिकार पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसे सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत पूर्ण संरक्षण दिया गया है।
27 जून 1987 को 91 वर्ष की आयु में डॉ. सलीम अली का निधन हो गया। सलीम अली पक्षीविज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र की स्थापना उनके नाम पर 'बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी' और 'पर्यावरण और वन मंत्रालय' द्वारा तमिलनाडु के गांव 'अनाइकट्टी' नामक स्थान पर किया गया था।