Republic Day 2023: दो साल बाद भारत में रिपब्लिक डे के मौके पर कोई मुख्य अतिथि आ रहा है। इस बार मिस्र (Egypt) के राष्ट्रपति अब्देह फतेह अल सिसि (Abdeh Fatah al-Sisi) मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आएंगे। हाल ही में उन्होंने भारत के निमंत्रण को स्वीकार किया है। अल सिसि मिस्र राष्ट्रपति होने से पहले वहां के रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख हुआ करते थे।
देश में गणतंत्र दिवस पर विदेशी प्रमुखों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित करने की परंपरा शुरू से चली आ रही है। मुख्य अतिथि को विशेष गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि चुने जाने की एक पूरी प्रक्रिया होती है।
छह महीने की प्रक्रिया होती है
भारत में गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि चुनने की प्रक्रिया करीब छह महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। आमंत्रित करने से लेकर गणतंत्र दिवस पर उन्हें विशेष गार्ड ऑफ ऑनर देने तक कई तरह की चीज़ों की तैयारी की जाती है। मुख्य अतिथि के ठहरने, मेहमान नवाजी देना, विशेष भोज, आदि जैसे कई कार्यक्रमों की तैयारी होती है।
कैसे चुने जाते है मुख्य अतिथि ?
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि को चुनने पर काफी सोच विचार किया जाता है। आमंत्रण भेजने से पहले कई पहलुओं पर विचार किया जाता है। इसमें सबसे मुख्य होता है भारत और उस देश का संबंध कैसा है जहाँ के प्रतिनिधि को बुलाया जा रहा है। इसका भी खास ख्याल रखा जाता है कि आमंत्रित देश से भारत के राजनैतिक. व्यवसायिक, सैन्य, आर्थिक एवं अन्य हितों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है की आमंत्रित अतिथि को बुलाने से किसी और देश के साथ हमारे संबंध खराब न हो। दो देशो के बीच संबंध को गहरा और मजबूत करने का ये एक बढ़िया मौका होता है।
किसी देश के प्रतिनिधि को आमंत्रित करने से पहले ये भी देखा जाता है कि उस देश से भारत के ऐतिहासिक संबंध कैसे रहे हैं। जैसे इस बार मिस्र के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया है और मिस्र से भारत के संबंध अच्छे रहे है। मिस्र ने 1950 और 1960 दशक में निरपेक्ष आंदोलन में भारत का साथ दिया था। इस आंदोलन का उद्देश्य था कभी औपनिवेशिक रहे देशों को शीत युद्ध की चपेट में आने से बचाना। साल 1950 में भारत ने इस आंदोलन के सदस्य देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया था।
सभी पहलुओं को जांचने के बाद विदेश मंत्रालय प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से इस मामले में अनुमति लेता है। इसके सलाह और अनुमति मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाती है। आमंत्रित किये जाने वाले देश में भारत के राजदूत इस बात का पता लगते है की क्या गणतंत्र दिवस के दिन उस देश के प्रतिनिधि उपलब्ध हो पाएंगे या नहीं। बहुत बार ऐसी संभावना हो जाती है कि उस प्रतिनिधि को पहले से तय किसी अन्य कार्यक्रम में जाना होता है।