नमाज़ पढ़ने को लेकर एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया है। जहाँ लाउडस्पीकर को लेकर बहस थी, वहीं अब इस्लाम धर्म के रीती-रिवाज़ों पर बात आ गयी है।
अरबी भाषा से निकले इस शब्द का मतलब ‘ठहराव या आराम’ होता है। तरावीह की दुआ हर चार रकात के बाद जलसा की सूरत में बैठकर पढ़ी जाती है। ईशा की नमाज के बाद तरावीह पढ़ी जाती है और बीच में रुककर दुआ पढ़ी जाती है।
आरोप है कि, मुरादाबाद में 25 मार्च को तरावीह की नमाज पढ़ने को लेकर बजरंग दल से जु़ड़े लोगों ने कथित रूप से हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस द्वारा नमाज को रोक दिया गया था। नमाज के लिए आए लोगों ने आरोप लगाए कि बजरंग दल से जुड़े लोग उन्हें नमाज पढ़ने से रोक रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि मुरादाबाद के कटघर थाना क्षेत्र की लाजपत नगर चौकी स्थित ज़ाकिर आयरन स्टोर में 25 मार्च के दिन तरावीह पढ़ने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। स्टोर के मालिक ज़ाकिर हुसैन ने अपने गोदाम में 25 से 30 लोगों का कार्यक्रम आयोजित किया था। ये आयरन स्टोर ज़ाकिर हुसैन के घर के नीचे ही है। पुलिस ने बताया कि हिंदू बहुल इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था। जिसके बाद सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची थी।
नमाज पढ़े जाने की जानकारी पर राष्ट्रीय बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष रोहन सक्सेना 25 मार्च की रात कार्यकर्ताओं के साथ गोदाम के बाहर पहुंच गए। इन लोगों ने वहां पर नई परंपरा शुरू करने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। जिसके बाद गोदाम के बाहर पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई।